केंद्र सरकार ने पेंशनभोगियों और कर्मचारियों को राहत प्रदान करने के लिए छह महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें पेंशन संशोधन, सेवा अवधि, विलंबित भुगतान पर ब्याज, नई पेंशन योजना (NPS), सामान्य भविष्य निधि (GPF), और ग्रेच्युटी भुगतान से संबंधित मुद्दों का समाधान दिया गया है। इन सुधारों से पेंशनभोगियों को न्यायसंगत लाभ मिलेगा। आइए इन दिशा-निर्देशों को विस्तार से समझते हैं।
केस 1: पेंशन संशोधन (छठे वेतन आयोग के तहत)
समस्या:
2006 से पहले सेवानिवृत्त हुए पेंशनभोगियों की पेंशन की गणना में विसंगतियां पाई गईं। छठे वेतन आयोग के अनुसार, पेंशन को अंतिम वेतन के 50% के आधार पर संशोधित किया जाना था।
उदाहरण:
श्री माणिकलाल, जो 2001 में सेवानिवृत्त हुए, उनकी पेंशन 3355 रुपये प्रतिमाह तय की गई। छठे वेतन आयोग के तहत इसे 7583 रुपये किया गया, लेकिन उन्होंने दावा किया कि इसे न्यूनतम वेतन बैंड के 50% के अनुसार 8193 रुपये होना चाहिए।
दिशा-निर्देश:
- पेंशन की गणना दो आधारों पर होगी:
- अंतिम वेतन का 50%।
- न्यूनतम वेतन बैंड + ग्रेड पे का 50%।
- पेंशनभोगियों को उच्चतम लाभ दिया जाएगा।
प्रभाव:
न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, केंद्र सरकार ने यह नीति लागू की। इससे पूर्व-2006 पेंशनभोगियों को न्यायसंगत पेंशन मिलने का रास्ता साफ हुआ।
केस 2: सेवा अवधि और पेंशन पात्रता
समस्या:
कुछ कर्मचारियों की सेवा अवधि न्यूनतम 10 वर्षों से कम होने पर उन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिलता।
उदाहरण:
श्री जगदीश, जो CISF में 9 वर्ष और 8 महीने तक सेवा में रहे, को पेंशन से वंचित कर दिया गया। न्यायालय ने आदेश दिया कि उनकी सेवा को 10 वर्ष मानते हुए पेंशन दी जाए।
दिशा-निर्देश:
- CCS (Pension) Rules, 1972 के नियम 49(1) के तहत सेवा के अतिरिक्त महीनों को पूर्ण वर्ष माना जाएगा।
- निलंबन या अवैतनिक अवकाश को भी सेवा अवधि में शामिल किया जाएगा।
प्रभाव:
इससे उन कर्मचारियों को भी पेंशन का लाभ मिलेगा, जो न्यूनतम सेवा अवधि पूरी नहीं कर पाते थे।
केस 3: विलंबित भुगतान पर ब्याज का प्रावधान
समस्या:
पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों में देरी के कारण पेंशनभोगियों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
उदाहरण:
श्री गणपत, CPWD के कर्मचारी, को उनके सेवानिवृत्ति लाभ एक वर्ष की देरी से मिले। न्यायाधिकरण ने आदेश दिया कि उन्हें 6% साधारण ब्याज दिया जाए।
दिशा-निर्देश:
- CCS (Pension) Rules, 1972 के नियम 68 के तहत:
- 3 महीने से अधिक देरी पर 6% ब्याज देना अनिवार्य।
- देरी के लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
प्रभाव:
यह प्रावधान समय पर भुगतान सुनिश्चित करता है और पेंशनभोगियों को अनावश्यक वित्तीय संकट से बचाता है।
केस 4: नई पेंशन प्रणाली (NPS) बनाम पुरानी पेंशन योजना (OPS)
समस्या:
NPS और OPS के तहत मृत कर्मचारियों के परिवारों को मिलने वाले लाभों में भ्रम की स्थिति बनी रहती थी।
उदाहरण:
एक मृत कर्मचारी की मां को परिवार पेंशन के लिए पात्र नहीं माना गया।
दिशा-निर्देश:
- CCS (Implementation of NPS) Rules, 2021 के तहत, डिफ़ॉल्ट विकल्प के रूप में OPS लागू होगा।
- मृत कर्मचारी के परिवार को OPS का लाभ मिलेगा।
- यदि कोई पात्र सदस्य नहीं है, तो NPS फंड कानूनी उत्तराधिकारी को दिया जाएगा।
प्रभाव:
इससे NPS और OPS के बीच स्पष्टता आई और मृत कर्मचारियों के परिवारों को समय पर सहायता मिल सकेगी।
केस 5: सामान्य भविष्य निधि (GPF) और अधिकतम सीमा
समस्या:
GPF में वार्षिक योगदान सीमा (5 लाख रुपये) का उल्लंघन और उस पर ब्याज भुगतान के प्रावधान।
दिशा-निर्देश:
- GPF में यदि कटौती सीमा पार होती है तो अतिरिक्त कटौती रोकी जाएगी।
- अतिरिक्त राशि पर ब्याज दिया जाएगा, लेकिन वह कर योग्य होगा।
- GPF (Central Services) Rules, 1960 के तहत सीमा का सख्ती से पालन किया जाएगा।
प्रभाव:
GPF प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और कर्मचारियों को योगदान सीमा के बारे में स्पष्टता मिलेगी।
केस 6: ग्रेच्युटी का भुगतान (अस्थायी कर्मचारियों के लिए)
समस्या:
अस्थायी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ नहीं मिलता था।
उदाहरण:
श्री आर, एक अस्थायी कर्मचारी, ने 28 वर्ष की सेवा के बाद ग्रेच्युटी का दावा किया। उनके मामले में Payment of Gratuity Act, 1972 लागू किया गया।
दिशा-निर्देश:
- अस्थायी कर्मचारियों को सेवा के आधार पर ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा।
- CCS (Gratuity Payment) Rules, 2021 केवल नियमित कर्मचारियों पर लागू होते हैं।
प्रभाव:
अस्थायी कर्मचारियों को न्यायोचित ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष
केंद्र सरकार के यह 6 दिशा-निर्देश पेंशनभोगियों और कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं। पेंशन संशोधन से लेकर विलंबित भुगतान पर ब्याज, और अस्थायी कर्मचारियों के ग्रेच्युटी लाभ तक, यह कदम पेंशनभोगियों की जीवनशैली को सुधारने और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने में सहायक सिद्ध होंगे। इससे न्यायपालिका पर बोझ भी कम होगा और पेंशनभोगियों को समय पर लाभ मिल सकेगा।